अधिनियम 2021, मुख्यमंत्री बोले - नहीं बचेंगे धर्मांतरण करवाने वाले
मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 (Madhya Pradesh Religious Freedom Act 2021) गजट नोटिफिकेशन (Gazette Notification) के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश में लागू हो गया है। विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम राज्यपाल (Governor) की अनुमति के बाद मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में 27 मार्च 2021 को प्रकाशित हो गया है। इस कानून के आने के बाद पहले से चले आ रहे धर्म स्वतंत्रता कानून 1968 को समाप्त कर दिया जाएगा।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पारित हुआ था विधेयक
मध्य प्रदेश के बजट सत्र के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधेयक 2021 पारित हुआ था। इस कानून के तहत कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण और शादी के मामले में अधिकतम 10 वर्ष की कैद और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। कानून के तहत कोई भी भयपूर्वक, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर शादी करने और धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई तो आरोपियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी और शादी को शून्य माना जाएगा।
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नहीं बचेंगे धर्मांतरण करवाने वाले
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, विधानसभा में पारित होने के बाद धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2021 राजपत्र में प्रकाशित हुआ। यह राज्य का कानून बन गया। अब प्रेम के नाम पर छल या धर्मांतरण करवाने वाले बच न सकेंगे।
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बिल के 10 मुख्य पॉइंट
जबर्दस्ती और बहला-फुसलाकर धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान रखा गया। इस अपराध में जमात का प्रावधान नहीं है, यह गैर जमानती होगा।
धर्मांतरण करने के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण करने और करवाने वाले लोगों को लिखित आवेदन देना अनिवार्य होगा।
धर्मांतरण के बाद शादी करने वाले और करवाने वालों को 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को लिखित आवेदन देना होगा।
जबर्दस्ती धर्मांतरण और धर्मांतरण कर शादी करने और करवाने वालों की खिलाफ पीड़ित, उसके माता-पिता या परिजन शिकायत कर सकते है।
बिना आवेदन के धर्मांतरण करने वाले धर्मगुरुओं को 5 साल की सजा का प्रावधान होगा।
जबर्दस्ती धर्मांतरण और धर्मांतरण कर शादी करवाने में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें भी मुख आरोपी की तरह ही सजा दी जाएगी।
जबर्दस्ती धर्मांतरण और धर्मांतरण कर शादी करवाने वाले संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन रद्द कर उन पर भी केस दर्ज किया जाएगा।
वापस अपने धर्म में आने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
लव जिहाद के मामले में जो संतान होगी उसका धर्म वही होगा जो उसकी मां का होगा।
जो बच्चा होगा उसे उत्तराधिकार मिलेगा और वह पिता की संपत्ति में पूरी तरह हकदार होगा।