बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर में पदस्थ डीएसपी ध्रुवेश जायसवाल को उच्च न्यायालय बिलासपुर ने बहाल करने के दिए आदेश
*संदीप कुशवाहा की रिपोर्ट*
स्पष्टीकरण बगैर निलंबित किया जाना सिविल सेवा नियम के विरुद्ध – हाई कोर्ट
बलरामपुर – जिले के वाड्रफनगर मे पदस्थ डीएसपी ध्रुवेश जायसवाल को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था जब वे निजी कारण से छुट्टी पर थे उन्हें अचानक निलंबित कर दिया गया , निलंबन आदेश से छुब्द होकर शासन आदेशानुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहें साथ ही उन्हें विश्वास था कि विभागीय जांच उपरांत उन्हें बहाल कर दिया जाएगा , परंतु उन्हें विभागीय जांच उपरांत भी बहाल नहीं करने पर डीएसपी ध्रुर्वेश जायसवाल ने निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय बिलासपुर में रिट दायर कर असंवैधानिक आदेश के विरुद्ध अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं लक्ष्मीन कश्यप द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि डीएसपी ध्रुवेश जायसवाल राजपत्रित अधिकारी के श्रेणी में आते हैं एवं जिनकी नियुक्तिकर्ता अधिकारी सचिव ,गृह (पुलिस) विभाग है ऐसे में पुलिस महा निर्देशक द्वारा डीएसपी ध्रुर्वेश जायसवाल को निलंबित करने का आदेश असंवैधानिक है वही इस निलंबन आदेश के विरुद्ध 90 दिवस के भीतर सचिव, गृह विभाग द्वारा आरोप पत्र जारी किया जाना होता है परंतु डीएसपी के विरुद्ध किसी भी तरह से आरोप पत्र जारी नहीं होने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1968 के नियम 9(5)(ए )का उल्लंघन हुआ है इस कारण डीएसपी को निलंबन से बहाली के पात्र हैं जिसे उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
उपरोक्त रिट याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय बिलासपुर ने पुलिस महानिदेशक रायपुर के आदेश को असंवैधानिक मानते हुए निर्देशित किया है कि वे डीएसपी ध्रुवेश जायसवाल द्वारा निलंबन से बहाली हेतु प्रस्तुत आवेदन पर सिविल सेवा नियम के तहत आदेश पारित करते हुए उन्हें निलंबन से बहाल करें।