18 फरवरी को कृषि कानूनों के विरोध में रेल रोकेंगे किसान : अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान
18 फरवरी को कृषि कानूनों के विरोध में रेल रोकेंगे किसान : अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान                                     -महम के ऐतिहासिक चबूतरे पर सर्व खाप किसान सम्मेलन में बल्लू प्रधान को किया सम्मानित
अम्बाला, (जयबीर राणा थंबड़)। आगामी 18 फरवरी को कृषि कानूनों के विरोध में रेल रोकी जाएंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज भारतीय किसान यूनियन अंबावता के प्रदेश अध्यक्ष अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान ने महम चौबीसी के ऐतिहासिiक चबूतरे पर सर्व खाप किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए दी। कृषि कानूनों के विरोध में लगातार आवाज उठा रहे बल्लू प्रधान को आज सर्व खाप सम्मेलन में पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। वहीं विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला को भी आज यहां सम्मानित किया गया। बल्लू प्रधान ने कहा कि जब तक बिल वापसी नहीं होंगे घर भी वापसी नहीं होगी और आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि आज जो ये सर्व खाप किसान सम्मेलन में पगड़ी पहनाकर कर सम्मान दिया है इसको कभी झुकने नहीं देंगे। इस मौके पर सभी खापों के प्रधान मौजूद रहे। इसके साथ-साथ उन्होंने देश के प्रधानमंत्री द्वारा आंदोलन कर रहे किसानों पर टिप्पणी करने की भी कडे शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन पवित्र है, पवित्र था और पवित्र ही रहेगा। किसान आंदोलन का मकसद तीनों कृषि कानूनों को वापस करवाना व एमएसपी तय करवाना ही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी देश के लोगों को गुमराह ना करें बल्कि इन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए जल्द से जल्द किसान संगठनों के साथ चर्चा करना तय करें। बल्लू प्रधान ने कहा कि जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक आंदोलन को और तेजधार देने काम किया जाएगा। जिसके लिए 12 फरवरी से हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान में भी सभी टोल प्लाजाओं पर वाहन टोल फ्री करवाया जाएगा। 
इसी कड़ी में आगामी 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में कैंडल मार्च व मशाल जुलूस निकाले जायेंगे। 16 फरवरी को किसान मसीहा सर छोटूराम की जयंती के दिन देशभर में किसान एकजुटता दिखाते हुए उनकी जयंती मनाएंगे। इसके बाद भी अगर सरकार नहीं मानती है तो 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा।  किसान आंदोलन जब तक समाप्त नहीं होगा जब तक कि केंद्र सरकार इन कृषि कानून वापस नहीं कर लेती है। हालांकि बल्लू प्रधान ने सभी से आह्वान किया कि वे आंदोलन में शांतिपूर्ण तरीके से अपना योगदान दें। क्योंकि यह देश हम सबका है और किसान किसी भी तरह की हिंसा नहीं चाहता बल्कि वह मजबूर होकर इन कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर रहा है। मोदी सरकार इन भोले-भाले किसानों पर आंदोलनजीवी जैसे तंज कस कर इन्हें बदनाम व अपमानित करने काम न करे।