मुलाना (जयबीर राणा थंबड़)। इसे श्रद्धा कहें या मां का चमत्कार किंतु हर वर्ष माता बाला सुंदरी मंदिर में वितरित होने वाला मक्खन प्रसाद चर्म रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बराड़ा से लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर अम्बाला-जगाधरी रोड पर स्थित उपमंडल का मुख्य कस्बा मुलाना चर्मरोग के अद्भुत इलाज से श्रद्धा, आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मुलाना में स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर में हर वर्ष मक्खन से माता की पिंडी बनाई जाती है जोकि चर्म रोगियों के इलाज के लिए वितरित की जाती है। माता बाला सुंदरी मंदिर में बनी मक्खन की पिंडी का मक्खन से चर्म रोगियों का इलाज होता है। मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में मुलाना स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर में 61 किलो मक्खन की माता की पिंडी स्थापित की गई है, इतना ही नहीं माता बाला सुंदरी की मक्खन की पिंडी का श्रृंगार मेवे के साथ किया गया है। मंदिर कमेटी सचिव अशोक राणा ने बताया कि मकर सक्रांति को मक्खन से माता की पिंडी का निर्माण किया गया जो कि इस बार 61 किलो मक्खन से निर्मित हुई है उन्होंने बताया कि पिंडी स्थापना के 1 सप्ताह बाद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को जोकि इस बार 21 जनवरी को माता की पिंडी को दवाई के रूप में श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा। मंदिर पुजारी पंडित चिरंजीवी शर्मा जी का कहना है कि इस मक्खन को चर्म रोग पर लगाने से चमड़ी का रोग सदा के लिए दूर हो जाता है। उन्होंने बताया कि माता की पिंडी पर मक्खन का लेप इसलिए भी किया जाता है जिस समय माता भैरव जी के प्रभाव से गायल हो गई थी और गर्भ जून में मकर संक्रांति के दिन ही माता ने अपने जख्मों पर 7 दिनों तक मक्खन से लेप किया था और उस लेप से सारे जख्म दूर हो गए थे। माता बाला सुंदरी कमेटी सचिव अशोक राणा ने बताया कि 21 जनवरी को मंदिर में एक विशाल हवन यज्ञ के पश्चात भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा और इस अवसर पर मक्खन प्रसाद को दवाई के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर का सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्य जारी है और मंदिर परिसर में भगवान शिव की। 51 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण हो रहा है, जोकि संभवतः महाशिवरात्रि पर्व से पहले हो जाएगा। उन्होंने दानी सज्जनों से अपील करते हुए कहा कि मंदिर के निर्माण और सौंदर्यकरण के लिए अधिक से अधिक दान देकर पुण्य के भागी बने।
चर्म रोगियों को वरदान देगी माता बाला सुंदरी की मक्खन से बनी पिंडी