चमोली उत्तराखण्ड
कुलसारी गौरा देवी आजिविका स्वयं सहायता समूह के माध्यम से दिया जा रहा क्षे़त्र की महिलाओं व युवाओं को रोजगार
रिपोर्ट। केशर सिंह नेगी
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीणों की आय को बढाने हेतु सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, वही कोरना काल में भी शहरों से अपने गाॅव वापस आये नवयुवकों के द्वारा भी इन समूहों से जुडकर सब्जी उत्पादन, मुर्गी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, पहाडी उत्पादों व मडुआ और चैलाई के विस्कुट उत्पादन कर बेहत्तर आजिविका पा रहे हैै ।
इसी कडी में थराली वि0ख0 के कुल सारी में कार्यरत्त गौरा देवी आजिविका स्वयं सहायता समूह द्वारा अपने 9 ग्राम पंचायतों के 51 समूहों के माध्यम से जिसमें 45 समूह पारम्परिक आनाज व 5 समूहों के माध्यम से डेरी उत्पादन के क्षे़त्र में कार्य कर रही है जिससे 362 परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप् से आजिविका पा रहे है वही गौरा देवी आजिविका सहकारिता समूह के माध्यम से मडूवे व चैलाई के विस्कुट की यूनिट लगाई गयी है जिससे क्षे़त्र में उत्पादन होने वाले मडूवे व चैलाई के आनाजों की कास्तकारों को बेहत्तर दाम उपलब्ध कराये जा रहे है ।
गौरा देवी आजिविका स्वयं सहायता समूह के आजिविका समन्वयक शिशुपाल कोठियाल के अनुसार उनके द्वारा समूहो को कताई बुनाई, कषि कार्य, विस्कुट बनाने की टेंनिग, मशरूम उत्पादन टेंनिंग, दी जाती है वही ग्रामीणों से पहाडी उपज को अचित दाम पर ले कर उन्हें दिल्ली, देहरादून, गौचर, यहित अन्य प्रदेशों में भी विवणन किया जाता है । वही उनके द्वारा कुलसारी में मडुवा, व चैलाई के विस्कुट की यूनिट लगाई गयी है जिसके माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को टेंनिग के साथ -साथ स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया जाता है । साथ की कास्तकारों को बैज्ञानिक तरिके से कृर्षि कार्य की ट्रनिग व मशीनरी बैंक के म मााध्यम से कृषि उपकरण उपलब्ध कराये जाते है । जबकि उनके द्वारा वर्तमान वर्ष में कुलसार क्षे़त्र में पूसा बासमती 1509 का उत्पादन कराया गया जिसके बेहत्तर परिणाम प्राप्त हुऐ है ।
वही सहकारिता की मदत से सुनाउ गाॅव के गोपाल सिंह व देवल गाॅव के हरेन्द्र सिंह को सब्जी उत्पादन हेतु पाॅलिहाउस प्रदान कर प्रशिक्षण दिया गया तो उनके द्वारा सब्जी उत्पादन कर सालाना एक से दो लाख रू0 की आमादनी की जा रही है ।
वही कई प्रकार के स्थानिय मेलों जिनमें देहरादून का सरस मेला , गौचर मेला, दिल्ली प्रगति मैदान में होने वाले मेलों में पहाडी उत्पादों की प्रदर्शिनी लगाकर उनके बारे में जानकारी प्रदान की जाती है ।