सच्चे मन से जपे गए नाम की महिमा बताई
हडिया धनगर परिवार द्वारा मांगरुल गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के छठे दिन पंडित कृपाशंकर सारस्वत ने बताया कि मथुरा के पास एक गांव में एक ग्वालन रहती थी जो प्रतिदिन नौका द्वारा मथुरा में आकर माखन बेच कर अपने परिवार का पालन करती थी एक दिन जब महिला माखन बेचने आई तब उसका काम कुछ ही समय में सारा माखन बिक गया ऐसे में महिला सोची कि आज मैं मथुरा घूम लूं तभी उसने देखा कि वहां पर श्रीमद् भागवत कथा चल रही है महिला कथा में जाकर बैठ गई कथावाचक पंडित द्वारा नाम की श्रद्धा पूर्वक महिमा बताते ही महिला के मन में भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा जाग उठी और बह जब घर वापस लौटी तब यमुना के किनारे श्रद्धा पूर्वक कृष्ण कृष्ण कहकर यमुना में जेसे ही पैर रखा बह धरती का रूप ले ली और पैदल यमुना पार कर अपने घर चली गई इसी तरह वह रोज आती बा कृष्ण कृष्ण का जाप कर यमुना पार कर मथुरा पहुंचकर माखन बेचकर कथा सुनती अपने घर लौट जाती कथा के अंतिम दिन महिला के मन में विचार आया कि आज कथा समापन है ऐसे में पंडित जी को दान दक्षिणा व भोजन कराना चाहिए जब महिला पंडित जी को निवेदन कर अपने साथ अपने घर के लिए ले गई तब जैसे ही यमुना किनारे पहुंची तब पंडित जी बोले कि नौका बुलाए जिससे कि हम पार हो सके तब महिला ने कहा कि भगवान कृष्ण की आपने जो महिमा बताई है  श्री कृष्ण का नाम लेकर  यमुना में पैदल पार कर सकते हैं तब पंडित जी के मन में विचार आया कि महिला की मानसिक स्थिति शायद ठीक नहीं है और महिला कृष्ण कृष्ण का श्रद्धा पूर्वक नाम लेकर यमुना में निकल पड़ी आगे जाकर जब पंडित जी को बुलाया तो पंडित जी बड़ी ही हिम्मत कर जैसे ही यमुना में पैर रखा तब बह डूबने लगे तब उस महिला द्वारा पंडित जी को हाथ पकड़ कर बाहर निकाला कर उन्हें बताया कि आपने ही कथा में बताया कि भगवान कृष्ण का श्रद्धा पूर्वक नाम लेने से मनुष्य के सब दुख दूर हो जाते हैं तब पंडित जी ने कहा कि मैंने उस श्रद्धा से नाम नहीं ले पाया इसीलिए शायद आज में डूब गया   श्री कृष्ण की लीला निराली है कथा के आयोजक रामविलास धनगर ने बताया कि कल कथा के समापन पर महा आरती के पश्चात भंडारे का आयोजन रखा गया है