रामलीला महोत्सव के अंतर्गत सेठानी घाट पर सत्संग भवन के रंगमंच

होशंगाबाद- रामलीला महोत्सव के अंतर्गत सेठानी घाट पर सत्संग भवन के रंगमंच से भरत मिलाप और सीता हरण की दो लीलाओं की प्रस्तुति की गई।भरत अपने भ्राता श्री राम को मनाने चित्रकूट पहुंचते हैं। श्री राम को राजा दशरथ की मृत्यु का समाचार सुनाते हैं और भरत राम को अयोध्या वापस चलने के लिए समझाते हैं किंतु मर्यादा और पिता की आज्ञा का पालन करने हेतु अयोध्या नहीं लौटते हैं,अंततः भरत राम की खड़ाऊं लेकर अयोध्या वापस लौट जाते हैं और उन्हें ही श्रीराम का प्रतीक मानकर ने  निर्लिप्त भाव से अयोध्या में राज करते हैं। श्रीराम वन की ओर पंचवटी पहुंच जाते हैं। रावण जब मरीज को स्वर्ण मृग बनाकर पंचवटी भेजता है तो मारीच मृग का रूप धारण कर पंचवटी की ओर पहुंचता है। स्वर्ण मृग देखकर सीता जी श्रीराम को उनका वध करने के लिए आग्रह करती है। श्रीराम मायावी स्वर्ण मृग  का पीछा कर उसे एक ही बाण से धराशाई कर देते हैं।और वह मृग रूपी मारीच हा..... लक्षण,हा.... लक्ष्मण चिल्लाता है। यह सुनकर सीताजी चिंतित होती है और श्रीलक्ष्मण को श्रीराम की सहायता के लिए भेजती हैं सहायता पर जाने से पूर्व श्रीलक्ष्मण पर्णकुटी के चारों ओर लक्ष्मण रेखा खींचकर वन में भाई की सहायतार्थ  निकल पड़ते हैं। तभी साधु वेश में रावण सीताजी के पास साधु के वेश में पहुंच कर सीताजी का हरण कर लंका ले जाता है । आज की लीला में श्री भरत का यथार्थ तिवारी , शत्रुघ्न का सिद्धांत चौरे , वशिष्ठ का अजय परसाई , सुभाष परसाई ने रावण , खर दूषण का दीपेश व्यास , सेनापति का दीपक साहू , मारीच का गोपाल शुक्ला , निषाद का मनोज परसाई ने अभिनय किया । पात्रों के श्रंगारी हेमंत मालवी , गुरुदत्त शर्मा , रामगोपाल दुबे और माधव दुबे और मंच संचालन गोपाल शुक्ला और यश गोस्वामी का रहा।                                          प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट


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