देवास के खातेगांव वन परिक्षेत्र में दिन के उजालों में हो रही ट्रैक्टरों से सागवान लकड़ी की तस्करी!

देवास के खातेगांव वन परिक्षेत्र में दिन के उजालों में हो रही ट्रैक्टरों से सागवान लकड़ी की तस्करी!


 नई ट्रैक्टर ट्राली से सागवान की लकड़ी का परिवहन करते पकड़ा था भ्रष्टाचार के दम पर वन विभाग के द्वारा अदला बदली कर भंगार ट्रैक्टर ट्राली को लावारिस हालत में ट्रैक्टर ट्राली जप्त तक कर कहानी बनाकर कर वाहवाही लूटी जा रही थी कि हो गया भंडाफोड़


उच्च स्तरीय विभागीय जांच में वन विभाग के कई काले पतित चेहरे होंगे बेनकाब


देवास/खातेगांव
देवास जिले के खातेगांव में लकड़ी तस्कर वन विभाग की सांठगांठ होने के कारण मालामाल है। जी हाँ ऐसा ही मामला बीते दिनों खातेगांव वन परिक्षेत्र की सब रेंज लीली में देखने को मिला जब लकड़ी तस्कर 11 अक्टूबर को ट्रेक्टर ट्रॉली में विशालकाय सागवन की लकड़ी को षड्यंत्रकारी रूप से ऊपर से ईंट भरकर ले कर जा रहे थे, जिन्हें लीली सब रेंज के  वनकर्मी ने ट्रेक्टर को रोक कर देखा, ट्रॉली के अंदर सागवन की लकड़ियां ओर ऊपर से ईंट भरी हुई है। जिनका वनकर्मी ने मौके से आरोपी, लकड़ी, ट्रेक्टर ट्रॉली के जीपीएस लोकेशन वाले कैमरे से फोटो भी निकाले, पीओआर 231/25 दिनांक 11 अक्टूबर को जारी की गई ओर उसके बाद लकड़ी जप्त कर सांठगांठ कर भ्रष्टाचार के दम पर ट्रेक्टर ट्रॉली को छूमंतर कर दिया। जब धीरे धीरे इस बात की भनक मीडिया तक पहुँची तो बताया गया कि गांव के दस - बारह लोगों के द्वारा एकजुट आ जाने के कारण ट्रैक्टर ट्राली छुड़ाकर ले गए इस मामले में वन विभाग के द्वारा 10-12 लोगों के विरुद्ध शासकीय कार्य में बाधा की प्रकरण भी दर्ज नहीं कराया गया व पुलिस प्रकरण के संबंध में कोई भी सूचना भी नहीं दी गई। 15 तारीख को सुबह 9 बजे आखिरकार एक ट्रैक्टर ट्रॉली जप्त करने के लिए खेत में लावारिस हालत में मिल ही गया, वनकर्मियों ने बलवान BAL4500 LX 2005 मॉडल MP47-AG0264 नम्बर का ट्रेक्टर ट्रॉली लावारिस हालत में जप्त करना दिखाया। अब दूसरा ट्रैक्टर ओर दूसरी ट्रॉली में जैसे तैसे वो लकड़ियां पटकी गई, ओर शान से उस भंगार ट्रैक्टर ट्रॉली को काली पन्नी से ढांक कर सब रेंज भवन के सामने खड़ा कर दिया।  मीडिया को भनक लगी कि जिस दिन लकड़ियां से भरा ट्रेक्टर ट्रॉली रोका था वह अलग था, ओर आज जो नाटकीय ढंग से जप्त किया हुआ है ये अलग है। इस मामले को लेकर साक्ष्य के साथ जानकारी जुटा ली गई है  ट्रेक्टर ट्रॉली को 15 अक्टूबर को रोहित ट्रेडर्स खातेगांव (नारायण अग्रवाल) से सत्यनारायण जाट उर्फ कंदरी ने खरीदा है, ओर वह ट्रेक्टर दोपहर 12 के बाद खातेगांव से निकला। यह कहानी बनाई गई है  सिर्फ उस लकड़ी तस्कर ओर वन विभाग की मिलीभगत से नए ट्रेक्टर को बचाने के लिए खेल खेला है, अब वन विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों को समझना होगा कि आखिर वनविभाग में ऐसे भृष्ट वनकर्मियों पर क्या कार्रवाई करना चाहिए।इस तरह से लकड़ी तस्करों से वनकर्मी मिलकर जंगल का विनाश करने में लगे है। बात यही खत्म नही हो जाती है, इस पूरी कहानी में पर्दे के पीछे बैठे जिम्मेदार अधिकारी खातेगांव रेंजर खुमानसिंह सोलंकी की क्या भूमिका रही गोर कीजिये, जब 11 अक्टूबर को लीली सब रेंज के वनकर्मी अमन सक्सेना, के.के मिश्रा, कुलदीप शाक्य ने ट्रेक्टर ट्रॉली में रखे 21 नग सागवन की लकड़ी, ईंट, ट्रेक्टर ट्रॉली ओर आरोपी का फोटो निकालते है वो भी जीपीएस कैमरे से, उसके बाद आरोपी लकड़ी तस्कर को घुटने के बल बेठा कर आरोपी का फोटो निकालते है, पीओआर काटते है, तो क्या वह फ़ोटो  रेंजर सोलंकी तक नही पहुचते है। 15 अक्टूबर को ट्रेक्टर जप्त किया गया तब रेंजर खुमानसिंह सोलंकी ने क्या जांच की, ओर क्या देख कर कार्रवाई की, क्या उनको ट्रेक्टर दूसरा नही लगा, बात मुद्दे की यह है कि जब ट्रेक्टर ट्रॉली को जप्त किया तब मिडिया को अवगत क्यो नही कराया गया, कोई प्रेस नोट जारी क्यो नही किया गया, इसके पहले तो अगर दो या चार लकड़ी जप्त करते थे तब तो वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी खूब प्रेस नोट फ़ोटो के साथ भेजते थे, फिर इस ट्रेक्टर ट्रॉली को जप्त किया तब कोई न्यूज़ पेपर में समाचार क्यो नही छपवाए, इन  सब मामलों में खातेगांव रेंजर सोलंकी ने गोर क्यो नही किया। आखिर रेंजर सोलंकी क्यो अनजान बने बैठे है।
अभी बीते दिनों एक समाचार पत्र में रेंजर खुमानसिंह सोलंकी के बारे में छपा था, कि रेंजर साहब को कुदरत ने ऐसा कुछ दिया हुआ है, जिससे कि घटना होने के पहले ही उनको पता चल जाता है, कहा क्या होने वाला है,
अब जब इस ट्रेक्टर की अदला बदली हुई, पुराने भंगार ट्रेक्टर को जप्त किया गया तब रेंजर साहब का कुदरती करिश्मा काम क्यो नही आया, उनका ये तजुर्बा कहाँ गया, उनको ट्रेक्टर बदलने वाली घटना का पहले से पता क्यो नही चला। जब हमारे प्रतिनिधि ने उनसे ट्रेक्टर बदलने वाली घटना की जानकारी ली तब रेंजर साहब ने चुप्पी क्यो साध ली, रेंजर साहब ने बताया मुझे इस बारे में कोई जानकारी ही नही है, में जानकारी लेता हूं, यह केसा तजुर्बा की अपने ही नाक के नीचे कर्मचारी लकड़ी तस्करों से सेटिंग करके ट्रेक्टर बदल देते है और रेंजर साहब कहते है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नही है।



गौरतलब रहे कि इस तरह से खातेगांव के जंगल का बंटाढार हो रहा है, बीते दिनों मनोरा सब रेंज में 36 ठूँठ बिना नम्बर अंकित के पाए गए थे,  उसमे भी विभाग ने लीपापोती कर ली,  इधर सुखेड़ी के जंगल मे जेसीबी से डबरा डबरी व सीपीटी का काम चल रहा था उसमे भी उच्च अधिकारियों ने चुप्पी साध ली, हरणगांव सब रेंज में  वन विभाग द्वारा  भवन बनाया जिसकी दीवारें फटने लगी ओर जब यह बात मीडिया तक पहुँची तो भवन को तोड़ कर फिर से  बनवाया। हरणगांव सब रेंज के जंगल मे बड़े बड़े विशालकाय सागवन के 25 से 30 पेड़ो को घाव देकर पूरी तह सूखा दिए गए, इस सबंध में  खातेगांव रेंजर खुमानसिंह सोलंकी से पत्रकार राकेश अजमेरा से मोबाइल पर चर्चा करनी चाही तो पत्रकार राकेश अजमेरा को ही झूठे केस, व आदिवासी एक्ट में फँसवाने की  बात कर दी, यहां तक कि जान से मारने की धमकी तक दे डाली, इससे यह सिद्ध होता है कि किस तरह से वनों को बचाने वाले वन के रक्षक ही वनों के भक्षक बने हुए है, पेड़ो पर लगे घाव के बारे में जब डिप्टी रेंजर मानसिंह गोड से चर्चा करनी चाही तो डिप्टी  पत्रकार राकेश अजमेरा से कहते है कि तुम्हारा जंगल मे आना भुला देंगे। आखिर ऐसे भृष्टाचारी वनकर्मी से कैसे बचा पायेगा जंगल इस मामले को लेकर वन संरक्षक उज्जैन के द्वारा मंदसौर डिवीजन के गरोठ वन विभाग एसडीओ रावत को जांच दल का मुखिया बनाकर दक्षिण एवं उत्तर मनोरा बीट के अवैध कटाई की जांच के लिए भेजा गया था जांच अधिकारी के द्वारा जांच कर संबंधित वन अधिकारियों को पेश कर दी गई है जिसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होना वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कई सवालिया निशान उठते हैं। वन विभाग के इस प्रकार की कार्यप्रणाली पर शासन प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है
जिसको लेकर अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार मिटाओ सेना के प्रदेश अध्यक्ष चंचल भारतीय के द्वारा लिखित पत्र के माध्यम से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन भोपाल से उच्च स्तरीय जांच कर भ्रष्ट वन अधिकारी व वन कर्मियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाने के लिए मांग की गई है।


इनका कहना।
वही  विधायक आशीष शर्मा ने वर्षों से जमे अधिकारियों को हटाने की बात कही थी!


विधायक आशीष शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि जो हरा भरा पेड़ जंगल से कटता है, उस पेड़ को पलने में 20 साल का समय लगता है। उस पेड़ को फॉरेस्ट कर्मियों ने बचाना चाहिए न कि मार्केट से फर्नीचर पकड़कर खाना पूर्ति करना चाहिए। हमे आने वाली पीढ़ी को हरा भरा जंगल देना है। इसलिए जो भी कर्मचारी वन विभाग में लंबे समय से जमे है उनका तत्काल स्थानांतरित करना चाहिए,  लंबे समय से जमे रहने से उस वनकर्मी की लकड़ी तस्कर ओर माफियाओं से जान पहचान हो जाती है, इसलिए फॉरेस्ट में जो लम्बे समय से  कर्मचारी एक जगह जमे है, उनका ट्रांसफर होना चाहिए। साथ ही फील्ड के अधिकारी कर्मचारियों को फील्ड में रहना चाहिए, शहरों में रहकर जंगल नही बचाया जा सकता, जंगल को अगर बचाना है तो जंगल के अंदर आपको जाना ही पड़ेगा। ओर जंगल की कटाई हर हालत में रुकना चाहिए। जितने भी अधिकारी कर्मचारी है वो यदि आने वाले समय मे फील्ड में गश्त करते नही पाए जाएंगे ओर फील्ड में नही दिखेंगे तो में भी विभाग को पत्र लिखूंगा की इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।


इनका कहना।
जिला वन्य प्राणी अभिरक्षक जगदीश विश्नोई ने बताया जिस ट्रेक्टर ट्रॉली को वनकर्मियों ने 11 अक्टूबर को रोककर लकडी जप्त की, POR काटा, आरोपी को घुटने के बल बेठाया गया। यह फ़ोटो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उसके बाद वहाँ से ट्रैक्टर ट्रॉली, आरोपी गायब हो जाते है। उसके बाद वही आरोपी के द्वारा 15 ऑक्टोबर को भंगार ट्रैक्टर ट्रॉली वन विभाग को जप्त करवाने के मकसद से 90000 रुपये में खातेगांव से खरीदता है, ओर उसी दिन सुबह 9बजे उस भंगार ट्रैक्टर ट्रॉली को वनकर्मी जप्त करते है।अब इसमें वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को समझना होगा कि जप्त किया हुआ ट्रेक्टर तो 15 तारीख को खरीदा हुआ है, फिर 4 दिन पहले 11 तारीख को जो ट्रेक्टर ट्रॉली में लकड़ी लेकर जा रहे थे, जिसकी POR काटी गई वह ट्रेक्टर कहाँ है। इससे स्पष्ट होता है कि लकड़ी तस्कर ओर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारीयो की सांठगांठ कितने बड़े पैमाने पर हुई है।


कन्नोद से श्रीकांत पुरोहित