राजडोह पुल पर 4 वर्ष बाद ग्रामीणों का आवागमन हुआ शुरू।

राजडोह पुल पर 4 वर्ष बाद ग्रामीणों का आवागमन हुआ शुरू।


बैतूल/सारनी। कैलाश पाटिल


 वर्ष 2016 में बहे 10 हजार से अधिक की आबादी वाले ग्रामों को जोड़ने वाले राजडोह पुल का निर्माण मजदूरों के अभाव में रुका पड़ा था। कुशल मजदूरों के मिलने से निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है तथा अब ग्रामीणों का आवगमन भी इस पुल पर से शुरू हो चुका हैं। पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने से ग्रामीणों में खुशी देखने को मिल रही हैं। 23 मार्च को लॉकडाउन लगने के बाद पुल निर्माण में लगे कुशल मजदूर अपने-अपने घर चले गए थे, जिससे पुल निर्माण कार्य में समस्या का सामना करना पड़ रहा था। कुशल मजदुरो के मिलने से आखिर बरसात के पहले पुल का निर्माण कार्य 95 प्रतिशत पूरा हुआ। गौरतलब हो कि वर्ष 2012 में लोनिया पंचायत अंतर्गत आने वाले राजेगांव, खापा, लोनिया, बिकलई, ब्राम्हणवाड़ा समेत अन्य गांवों के 10 हजार से अधिक की आबादी के ग्रामीणों को जोड़ने वाला पुल बरसात के पानी के बह गया था। जिसके बाद इसे दोबारा निर्माण के लिए 25 जनवरी 2016 को तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सरताज सिंह ने भूमिपूजन किया था, जिसके निर्माण कार्य को पूर्ण करने हेतु श्री विजय कुमार मिश्रा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड रीवा द्वारा 9 करोड़ 63 लाख में 36 महीने बरसात के महीने को छोड़कर पूर्ण जाने हेतु टेंडर लिया गया था। टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद से विगत 4 सालों में राजडोह पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, इसका कारण बताया जाता है कि बरसात के माह को छोड़कर पुल निर्माण किया जाना था, उसके पश्चात मार्च माह में वैश्विक माहामारी कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लगे लॉकडाउन में पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूर अपने-अपने घर की ओर पलायन करने लगे जिससे पुल का निर्माण कार्य अधर में अटक गया था। तत्पश्चात राजडोह पुल निर्माण साइट प्रभारी कमलेश यादव द्वारा कुशल मजदूरों की खोजबीन के बाद समय पर पुल निर्माण कार्य संपन्न हो सके और बरसात के पहले उसको चालू किया जाए ताकि ग्रामीणों को बरसात में दिक्कत का सामना ना उठाना पड़े। जिसका परिणाम आज यह है कि लॉकडाउन लगने के 3 माह के भीतर कुशल मजदूरों के कार्य से पुल निर्माण का कार्य 95% पूर्ण हो चुका है इस समय पुल में बस रेलिंग लगना बाकी है, ग्रामीण पुल के ऊपर से आवागमन कर रहे हैं।


नाव के भरोसे ही आवागमन करते थे ग्रामीण।


वर्ष 2012 में राजडोह पुल के बहने से पुल निर्माण पूर्ण होने तक राजेगांव, खापा, लोनिया, बिकलई, ब्रह्मणवाड़ा समेत अन्य गांव के 10 हजार से अधिक आबादी वाले ग्राम प्रभावित हुए थे जोकि नाव के माध्यम से नदी के इस पार से उस पार आना-जाना करते थे जिन्हें पुल निर्माण से राहत मिली है। साथ ही  नाव से नदी पार करने में ग्रामीणों के जान पर हमेशा बनी रहती थी क्योंकि उस नाव पर बच्चे, बूढ़े सहित भारी सामान भी लेकर जाया जाता था। अब पुल निर्माण होने के कारण 10 हजार से अधिक आबादी वाले ग्रामो के निवासी ग्रामीणों को आवागमन की कुशल सुविधा मिली है। लेकिन वही पुल के साइड में रेलिंग या पिल्लरों के नहीं होने की वजह से कभी भी किसी के दुर्घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।