होशंगाबाद- नर्मदा आव्हान सेवा समिति व्दारा आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें देश के विभिन्न अंचलों से आंमत्रित कवियों ने ओज, हास्य, व्यंग्य की कविता प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। रक्षा पुरोहित होशंगाबाद की सुमधुर कोकिलकंठी स्वर के साथ सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन शुभारंभ हुआ।दोपहर 3 प्रारंभ से होकर देर शाम तक चलता रहा। इस अवसर मुख्यअतिथि डाँ.वैशाली शुक्ला ने कहा कि समिति प्रसंशनीय कार्य कर कर रही उनके व्दारा नवोदितो प्रतिभाओं को आगे लाने के अवसर प्रदान किया जा रहा। वशिष्ठ अतिथि रजनी मिश्रा मुम्बई ने नर्मदा आव्हान सेवा समिति सराहनीय कार्य कर रही।श्री करैया व्दारा निरंतर साहित्यिक गतिविधि होती रहती है वह बधाई के पात्र है।उन्होंने"इश्क गुनाह ना कीजिए जो किजे पश्चताय, हंसते हंसते आंखें भरे सोया भी ना जाये" यह रचना सुनाई।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डाँ.लता स्वरांजलि भोपाल ने कोरोना संकट काल में नर्मदा सेवा आव्हान समिति होशंगाबाद ने साहित्य की जो अलख जगाई है, वह वास्तव में सराहनीय है। इस समय जहाँ हर व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त होता जा रहा है, वहाँ कविता के माध्यम से मनोरंजन कराना भी एक पावन पुनीत कार्य है। वास्तव में विषम परिस्थितियों में कविता शक्ति देती है। और मानव जीवन के लिये प्रेरक व मार्गदर्शक है। काव्य-साधना के लिये प्रेरणा देने हेतु नर्मदा सेवा आव्हान समिति का कार्य वंदनीय है, हम इसके आभारी हैं। सभी काव्य-साधकों से यही निवेदन है, कि वह इस निशा काल में अपनी कविता की उदीप्त ज्योति जलाये रखें। ताकि सभी लोग इससे प्रकाश प्राप्त कर सकें।इस दौरान उन्होंने "दिल की हसरत को यूँ ही निकाला करो।वो अँधेरा करें तुम उजाला करो।छूटे इंसानियत का न दामन कभी,ऐसा संसार में बोलबाला करो" सुनाई। कवि सम्मेलन मे मशहूर कवि मुकेश मासूम ने कहा कि "वो मन की कामनाओं को विभोर कर गई।आई थी चाँद बनके और चकोर कर गई।
ऐसा अनूप रूप न देखा कभी कहिं।मुझ को अबोध उम्र में किशोर कर गई"। गाजियाबाद कि रुपा राजपूत ने कहा कि "कौन कहता है की मैं स्त्री मज़बूत नहीं बेचारी हूँ कैसे नापा कैसे तोला की हस्ती की मैं हल्की छुई .मुई अबला नारी हूँ"। शहडोल कि किरण सिंह ने कहा कि"खूबसूरत सी नज़र आती है,मेरी बिटिया जो सँवर जाती है"। जबलपुर की रजनी कोठरी ने "बीच अपने दूरियाँ ख़मोशिया हैं तो हैं,बाद इसके दरमियाँ मदहोशियाँ हैं तो हैं"। दतिया कि नेहा सोनी ने कहा कि "एक माँ ने नहीं मुझको दो माँओं ने पाला है,इक ने दिया है दूध दूजी ने निवाला है,इन माँ ओं के चरणों में ये शीश चढ़ाना है,हाँ ओढ़ तिरंगे को अपने घर आना है"। कवि सम्मेलन को उँचाई प्रदान शाजापुर के ऋतुराज लाडसिंह गुर्जर ने कहा कि "संस्कृति की सौरभ से महके माटी हिंदुस्तान की,जय अपने देश महान की,जय अपने देश महान की".राजेंद्र तिवारी सारनी ने कहा कि "करना था जो कर दिया,हमने अपना काम।आगे जाने राम जी, क्या होगा परिणाम। खत्म न होगी लालसा,होगा खत्म शरीर।कुछ ऐसा कर लीजिए,मिट जाये हर पीर" होशंगाबाद के वरिष्ठ कवि एच पी बछल्दे ने कहा कि"कोरोना दर्द करवटें बदलने वाला है, कोरोना शोला शबनम में ढालने वाला है, कवि सम्मेलन का कुशल संचालन करते हुए होशंगाबाद कि रक्षा पुरोहित ने कहा की "मै ऐसा क्या लिखू जिसकी ज़माना कद्र करे"।मैहर कि मधु माधवी ने कहा कि "कुछ फूलों के गीत लिखे हैं मैंने कांटों पे चलकर परिभाषित है पीड़ा मेरी गीतों ग़ज़लों में ढलकर"।जबलपुर की रजीया सोनी ने कहा कि "अपनी ही चलाते मेरी चलने नही देते,ख्वाहिश के परिन्दों को वो उड़ने नही देते"।प्रीति प्रवाह नरसिंहपुर ने कहा कि "हे नारी तुम पुरुष नही बन पाओगी"।प्रमोद रघुवंशी के अलावा अन्य कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी।प् इस अवसर पर नर्मदा आव्हान पटल के सैकड़ों सदस्य उपस्थित थे।अंत मे आभार प्रर्दशन समिति के प्रमुख केप्टन करैया ने किया। प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट
नर्मदा आव्हान सेवा समिति व्दारा आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया