चमोली उत्तराखंड
नंदादेवी लोकजात यात्रा पर कोरोना का साया
नन्दा लोकजात पर विशेष
नंदा लोग जात पर कोरोना का साया
रिपोर्ट केशर सिंह नेगी
सदियों से आयोजित होने वाले श्री नंदा देवी लोक राजजात यात्रा पर भी कोरोना का संकट छाने लगा हैं। आयोजन होगा की नही,किस तिथि को देवी की डोलीया सिद्धपीठ के गर्भगृर्भ कुरूड़ से बहार निकलेगी, यात्रा के होगी तो कितने यात्री यात्रा के साथ रहेंगे आदि-आदि कई प्रश्न उठने लगे हैं।अब तक यात्रा समिति एवं प्रशासन ने भी इस यात्रा के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी ना करने से यात्रा को लेकर संसय के बादल गहराते जा रहें हैं।
दरअसल सदियों से उत्तराखंड में प्रत्येक 12 वर्षों में श्री नंदा देवी की विश्व की सबसे लंबी एवं कठिन राजजात यात्रा का आयोजन होता रहा हैं। जिसमें पूरे उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों से न देव डोलीयों के साथ ही प्रतिक सम्लित होते हैं। यात्रा नौटी (कर्णप्रयाग) से शुरू हो कर त्रिशुली एवं नंदाघुघटी हिम पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी पर स्थित होमकुंड तक जाती हैं। 12 वर्षों में आयोजित होने वाली राजजात यात्रा के अलावा इसी यात्रा से जुड़ी श्री नंदा लोकजात यात्राओं का प्रत्येक साल भादों मास में सदियों से आयोजन होता आ रहा हैं।जो कि नंदा सिद्ध पीठ कुरूड़ (घाट) से शुरू होती है। इस के तहत बधाण की नंदा देवी की यात्रा कुरूड़ से शुरू हो कर बेदनी बुग्याल तक जाती हैं।जिस का समापन सिद्ध पीठ देवराड़ा ( थराली) में नंदा देवी के ऐतिहासिक उत्सव डोली के गर्भगृह में छः माह के प्रवास पर विराजमान होने के बाद समापन होता हैं। जबकि कुरूड़ सिद्ध पीठ से ही शुरू होने वाली दशोली की दशंमद्वार की नंदा देवी की लोक जात यात्रा क्षेत्र के विभिन्न गांवों से होते हुए बालपाटा तक जाती हैं। जहां पर पूजा के बाद यात्रा के वापस लौटने के बाद समापन हो जाता हैं। किंतु इस बार कोरोना महामारी के चलते इन्हें यात्राओं को लेकर संसय के बादल मंडराने लगे हैं। किसी की समझ में नही आ रहा हैं कि यात्रा होगी कि नही? होगी तो किस तरह से आयोजित होगी? आयोजन के दौरान किस तरह से कोरोना वायरस से बचने के लिए सावधानियां बरती जाएगी, यात्रा के पिछले आयोजनों को देख कर कहां जा सकता हैं कि यात्रा के रूटों पर आने के बाद कई तरह की दिक्कतों के साथ ही, सावधानियां को कायम रख पाना काफी मुश्किल हो सकता हैं।
एक साथ दो-दो देव यात्रा के संबंध में नंदा देवी राजराजेश्वर मंदिर समिति कुरूड़ के अध्यक्ष मंशाराम गौड़, उपाध्यक्ष राजेश गौड़ का कहना हैं कि अभी समिति ने तैय नही किया हैं कि किस तिथि को नंदा की उत्तसव डोलीयों को कुरुड़ सिद्ध पीठ के गर्भगृह से बहार निकाला जाएगा, यात्रा रूट में किस तरह से यात्रा का संचालन किया जाएगा, कितने लोग डोली के साथ चलेंगे, इस का निर्णय नही लिया गया हैं। कहां की इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन से भी दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। मिलने के बाद ही आगे की रणनीति तैय की जाएगी। कहां की पड़ावों के अध्यक्षों,ग्राम प्रधानों, 14 सयानों से भी रायमांगी गई हैं,इसी के बाद आगे की रणनीति तैय की जाएगी।
परंपरा के अनुसार जन्म अष्टमी के पर्व पर कुरुड़ सिद्ध पीठ के गर्भगृह से ड़ोलियों को बहार निकाल कर यात्रा शुरू करने की रही हैं। इस के तहत बधाण की देव डोली को अमावासियां के दिन हरहाल में थराली के सूना गांव पहुंचने की हैं। अब जबकि 11 अगस्त को जन्म अष्टमी का पर्व काफी करीब हैं। किंतु यात्रा के संबंध में किसी भी तरह की तैयारी शुरू नही होने के कारण कई तरह के प्रश्नों को जन्म देने लगी हैं।