बैतूल/सारनी। कैलाश पाटिल
भारत का गौरवपूर्ण इतिहास महान नारियों और वीरांगनाओं के चरित्र से भरा हुआ है। गोंडवाना राज्य की महारानी दुर्गावती का चरित्र भी भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित है।उनका चरित्र सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। महारानी दुर्गावती शौर्य, पराक्रम, वीरता और साहस की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने पूरे धैर्य और साहस के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया। अपने अद्भुत पराक्रम से मुगल सेना को युद्ध में पराजित किया, उनका युद्ध कौशल अद्वितीय था। उक्त विचार सरस्वती विद्या मंदिर में रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सतपुड़ा सरस्वती शिक्षा समिति के सचिव योगेन्द्र ठाकुर ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के प्रारंभ में महारानी दुर्गावती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। योगेन्द्र ठाकुर ने महारानी दुर्गावती के जीवन चरित्र और उनके व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर अंबादास सूने, मुरारीलाल मालवीय, लालबाबू गिरि , दिनेश मेवाड़ा, सतीश कुमार, संतोष प्रजापति, प्रकाश, मनीष चौहान एवं राजेन्द्र तिवारी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।