होशंगाबाद- बढ़ रही प्रशासन द्वारा थूकने एवं मास्क नहीं लगाने पर चालानी कार्रवाई की जा रही है पर दूसरी ओर यह कैसा न्याय कि गुटखा पाउच की खुलेआम बिक्री हो रही है गुटखा खाकर हर कोई रोड पर थूकते नजर आता है क्या गुटका खाने से कोरोनावायरस का प्रभाव खत्म हो जाता है जिसकी वजह से सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है, कोरोना महामारी से उपजे देश की गंभीर स्थिति के बारे में सबको पता है, एक तरफ कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार देश में फैलता जा रहा है, दूसरी तरफ देश के अलग-अलग राज्यों में सरकारों ने पान मसालों की बिक्री से प्रतिबंध हटा दिए हैं, इससे पहले राजस्थान सरकार ने 26 मई को और उत्तर प्रदेश सरकार ने 6 मई को इसकी बिक्री से प्रतिबंध हटाए थे,अन्य कई राज्य भी इसकी बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटा चुके हैं या धीरे-धीरे करके हटा रहे हैं, ऐसे समय में जब यह बीमारी भारत में लगातार तेजी से बढ़ रही है और रोज नए-नए रिकॉर्ड बना रही है, पान-मसालों की बिक्री पर हटाए जा रहे प्रतिबंध पर सवाल उठ रहे हैं, यह एक ज्ञात तथ्य है कि कोरोना महामारी ड्रॉपलेट्स, थूक और सलाईवा से फैलती है, हालांकि सार्वजनिक स्थानों पर इसके उपयोग पर अभी भी प्रतिबंध बरकरार है और कोई भी पान-मसाला या गुटखा खाकर कहीं भी थूक नहीं सकता। लेकिन इस विषय में जानकार लोगों का कहना है कि अगर पान-मसाले की बिक्री होगी तो आदमी उसे चबाने के बाद कहीं थूकेगा ही, जिससे कोरोना बीमारी के फैलने का खतरा और भी बढ़ेगा। अगर आप पीएम केयर्स फंड में पैसा देते हैं इसका मतलब यह नहीं होता कि आपको किसी का जान लेने का अधिकार प्राप्त हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित देश का स्वास्थ्य मंत्रालय भी मान चुका है कि कोरोना काल में पान मसाला, गुटखा आदि थूकने वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, फिर भी राज्य सरकारों द्वारा इसकी बिक्री से प्रतिबंध हटाए जाना एकदम समझ से परे है, कोविड 19 महामारी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, जिसके रोकथाम के लिए पूरे प्रदेश में दिनांक 25 मार्च 2020 से लॉकडाउन की घोषणा की जाती है, इस दौरान प्रदेश में पान मसाला का उपयोग करने और पान मसाला खा कर थूकने पर प्रतिबंध रहेगा, क्योंकि इससे संक्रमण फैलने की संभावना बहुत अधिक है। इसलिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 30 (2) (क) में दिए गए शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार जनस्वास्थ्य के दृष्टिगत पान मसाला के विनिर्माण, वितरण एवं विक्रय पर अग्रिम आदेशों तक तत्काल प्रभाव से प्रतिबन्ध लगाती है, हालांकि इस दौरान भी देश और प्रदेश में कई-जगहों से छिपे-चोरी और अवैध रूप से पान-मसाले की बिक्री और उपयोग की खबर आती रही, लेकिन व्यापक रूप में यह प्रतिबंध प्रभावी रहा और लॉकडाउन के दौरान कई जगहों से लोगों की गुटखे की ब्लेक में बिकने की खबर आईं, लेकिन लॉकडाउन-3 आते-आते कई उद्योगों को गति देने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए गए, इसी के तहत पान मसाले की बिक्री से भी लगा प्रतिबंध हटा दिया गया, यह सब बहुत खतरनाक है, एक तरफ देश और प्रदेश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है, रोज 10 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और रोज मरने वालों की संख्या भी हजार में पहुंच गई है, दूसरी तरफ पान-मसाला कंपनियां पीएम केयर फंड में पैसा देने का हवाला देकर जहर बेचने का लाइसेंस लेने में लगी हुई हैं, कहीं ना कहीं प्रदेश सरकार का इन पूंजीपतियों से सांठ-गांठ है, तभी मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, कंपनी सिर्फ वे लोग सिर्फ पान-मसाला बनाते और बेचते हैं, जो कि एक तरह से माउथ फ्रेशनर है, इसमें तंबाकू नहीं होता, वहीं प्रदेश सरकार का कहना है कि इस व्यवसाय से हजारों मजदूर जुड़े हुए हैं इसलिए इसको लंबे समय तक बंद नहीं रखा जा सकता, दोनों दलील महज बहाने हैं, लॉक डाउन के लगभग तीन महीने होने के बाद भी अब भी कई ऐसे व्यवसाय हैं, जो कि पूरी तरह से बंद हैं क्योंकि उससे संक्रमण फैलने का खतरा है, सिनेमा हाल पूरी तरह से बंद है, मॉल अभी कुछ समय पहले खोले गए हैं, ऐसे कई सारे उद्योग और व्यवसाय हैं जो कि अभी तक बंद है क्योंकि यह महामारी की असाधारण और अभूतपूर्व परिस्थिति है, दूसरी तरफ माउथ फ्रेशनर वाला जवाब भी बचकाना है क्योंकि अगर मान भी लिया जाए कि यह माउथ फ्रेशनर है फिर भी इसे खाने के बाद थूका ही जाएगा और डब्ल्यूएचओ सहित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सिंह तक बोल चुके हैं कि यह बीमारी थूकने से फैलता है और इस संबंध में तंबाकू बिक्री पर राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने चाहिए, हम तो बस इस महामारी के समय इसकी बिक्री और प्रतिबंध की बात कर रहे हैं ताकि इसका सेवन करने वाले लाखों मजदूरों और गरीब लोगों और उनके परिजनों को इस महामारी की कोप से बचाया जा सके, उन्होंने महामारी के बीच पान-गुटखा पर पहले प्रतिबंध लगाने और फिर हटाने के पीछे के कारणों के बारे में कोई भी सूचना देने से इनकार किया, लाक डाउन में राजश्री और दारू का खुल्ला खेल चला और कई लोग पकडाये और कार्यवाही भी हुई लेकिन आला अधिकारीयो एवं जनप्रतिनिधि ने आगे उचित कार्यवाही के साथ साथ लोगो के हित में ध्यान रखना बंद क्यो कर दिया यह तो भगवान ही जाने ? अब जनता किससे आस लगाये, हाल में ही इंदौर के गुटका किंग जो कि सवा दो सौ करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी मे पकड़ाया और भाग गया था मुंबई में पकड़ाया है इससे सिद्ध होता है कि करोड़ों रुपए के खेल की वजह से यह गुटखा बेचने पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट
कोरोना महामारी, फिर भी गुटखा और पान मसाले की बिक्री पर क्यों नहीं है प्रतिबंध,